इज्जत (सम्मान) एक ऐसा अनमोल खज़ाना है जिसे कमाना आसान नहीं और खोना पल भर का काम है। यह इंसान की असली पहचान और उसके व्यक्तित्व का आईना होती है। इज्जत न केवल हमें दूसरों के दिलों में जगह दिलाती है बल्कि हमारे आत्मसम्मान को भी मज़बूत बनाती है। इज्जत पर लिखी गई शायरी भावनाओं और विचारों को बेहद खूबसूरत
और गहराई से व्यक्त करने का ज़रिया है। यह हमारे रिश्तों, समाज और हमारी खुद की सोच को परिभाषित करती है।
इज्जत पर शायरी आमतौर पर लोगों के दिलों में सम्मान जगाने, दूसरों के साथ आदरपूर्वक व्यवहार करने, और समाज में सच्चाई और अच्छाई का संदेश देने के लिए लिखी जाती है। चाहे वह प्यार में इज्जत की बात हो, परिवार में सम्मान की, या समाज में इन्सानियत की कदर करने की, इज्जत शायरी दिल से जुड़ी हर भावना को शब्दों में पिरोने का काम करती है।
Izzat Shayari
“इज्जत वो दौलत है जो हर कोई कमाना चाहता है, जो
दूसरों को दी जाए, तो दुगनी लौट आती है।”
इज्जत इतनी महंगी चीज है साहब, इसकी उम्मीद घटिया लोगों से बिल्कुल भी ना करें।
चाहे इंसान गरीब हो या आमिर, दलित हो या ब्राह्मण सबको इज्जत से रहने का अधिकार है।
माना पैसों से हर चीज खरीदी जा सकती है, पर पैसों से इज्जत बिल्कुल भी नहीं खरीदी जा सकती है।
जो इज्जत कमाने के लिए परिश्रम करता है, उसके पास धन अपने आप ही दौड़ता चला आता है।
किसी के आगे भीख मांगने से अच्छा है कि आप अपनी मेहनत का खाएं, और एक इज्जतदार जिंदगी जिएं।
महान इंसान केवल वही बन पाता है जिसने अपनी जिंदगी में सफलता के साथ-साथ इज्जत भी कमाई होती है।
कल तक वो जिसको मोहब्बत
कहती थी आज उसी को वो कोई बीमारी बताने लगी।
कल तक जो रात रात जागती थी मेरे लिए अब वो नींद का बहाना बना सो जाने लगी।
कल तक कहते थे मैं हूं आदत जिसकी, आज वही मुझे कोई बुरी लत बनाने लगी।
पनाह प्यार था अब वही प्यार वो किसी और से जताने लगी।
जब मुझसे आखिर दिल भर गया उसका तो