kajal shayari | काजल शायरी

“कहते हैं, आँखें दिल का आइना होती हैं,और जब इन आँखों में काजल का जादू बिखर जाए, तो हर दिल को अपनी गहराइयों में डूबो लेता है।काजल की एक हल्की सी लकीर, कितनी कहानियां, कितने जज्बात बयां कर देती है। तो आइए, काजल की इस अदाओं को महसूस करते हैं और कुछ दिल छू लेने वाली शायरी के सफर पर चलते हैं।”

न रोओ आँख का काजल, 
निकल कर छूट जायेगा,
ये दिल तेरे अश्क बूंदों में, 
फिसल कर टूट जायेगा.


एक बार इशारा तो कर दे
दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं,
मै खुद को जला सकता हूँ, 
तेरी आँखों के काजल के लिये.


मोहब्बत के सपने दिखाते बहुत हैं,
वो रातों में हमको जगाते बहुत हैं,
मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे,
इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं.


kajal shayari

ये लाली, ये काजल, 
और ये जुल्फें खुली खुली,
अरे एसे ही  जान मांग लेते 
इतना इंतजाम क्यूँ किया?


Ye Lali, Ye Kajal 
Aur Ye Julfe Khuli Khuli,
Are Ese Hi Jaan Mang Lete, 
Itana Intzam Kyu Kiya❓


संभालकर ज़रा रखियेगा कदम 
फूल बिखरे है मगर ठेस लग जायेगी,
ये काजल लगाने का क्या फायदा 
रूप ऐसा है नज़र लग जायेगी. 


जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत,
अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है.


kajal shayari

ये नैना ये काजल ये जुल्फे ये आँचल 
खूबसूरत सी हो तुम 
ग़ज़ल कभी दिल हो कभी धड़कन कभी शोला कभी शबनम
तुम्ही ही हो तुम मेरी हमदम.


उस की आँखों में भी काजल फैल रहा है
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूँ .
जावेद_अख़्तर


मुहब्बत की बेनूर ख्वाहिशें 
और तेरा गम,
हम बिखर से गये 
आँखों से काजल की तरह. 


काजल, आँखे ,जुल्फ़े, झुमका, चेहरा, बिंदिया
हाये दिल हार गए हम तुम्हे बेनकाब देखकर.


kajal shayari

कभी काजल कभी बिंदिया 
कभी चूड़ी कभी कजरा,
मुझे ज़ख़्मी किया ज़ालिम 
तेरे इन्ही हथियारो ने.


मेहंदी रची हथेली मेरी 
मेरे काजल वाले नैन रे,
पिया पल पल तुझे पुकारते 
होकर बैचेन रे.


लगा लेना काजल 
अपनी आखो मे जरा
ख्बाब बनकर दाखिल होने का 
इरादा है मेरा.


Laga Lena Kazal 
Apni Ankhon Me Jara,
Khwaab Bnakar Dakhil Hone Ka 
Iraada Hai Mera.


kajal shayari

निकल आते हैं आँसू 
गर जरा सी चूक हो जाये,
किसी की आँख में काजल लगाना 
खेल थोड़े ही है.


Nikal Aate Hain Aansoo 
Gar Jara Si Chook Ho Jaye,
Kisi Ki Aankh Mein Kajal Lagana 
Khel Thode Hi Hai.


गुलाब से गुलाब का रंग 
तेरे गालों पे आया.
तेरे नैनों ने काली घटा का 
काजल लगाया.
जवानी जो तुम पर चढ़ी तो 
नशा मेरी आँखों में आया..


जिसे भी देख लो तुम, 
वो हुआ एक पल में दीवाना,
तिलिस्मी है बहुत सनम, 
तुम्हारी आँखों का काजल. 


kajal shayari

हाँ, एक और शाम रंगीन हुई है 
तुम्हारे आँचल की तरह,
और देखो, सुरमयी रंग सजा है 
तुम्हारे काजल की तरह.


जो बरस जाये वही बादल अच्छे हैं,
जो निगाहों को सजा दे वही काजल सच्चे हैं,
सयानों ने कुछ इस कदर बर्बाद कर दी है दुनिया,
हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैं.


काजल बिंदियॉ, कंगन झुमके, 
ये मेरे ख़ज़ाने हैं,
दिल पंछी बनके उड़ जाता है, 
हम खोये खोये रहते हैं.


बहुत रोई हुई लगती है आँखें
मेरी ख़ातिर ज़रा काजल लगा लो.


kajal shayari

गीले लब़ कातिल निगाहें 
गज़ब का काजल गुलाबी हो़ठ,
तु ही बता ये दिल 
तुम पे न मरता तो क्या करता?


अलसायी सुबह, फैले हुए काजल में, 
बिखरे हुए आँचल में,
बचाते बचाते छिपाते छिपाते नुमायां होती है 
कविता कोई रात की.


एक मायने में आँखों की हद है ये काजल,
पर तुम्हारी आँखों में हसीन बेहद है ये काजल.


आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए,
काजल लगाती है वो आईने में देखकर.


तुम्हारी कजरारी आंखे  
जब भी मेरी तरफ देखती है,
कसम से एक ख़त 
इश्क़ का लिख भेजती है.


kajal shayari

काँपती लौ, ये स्याही, ये धुआँ, ये काजल
उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी,
कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
ज़िन्दगी गीत थी पर जिल्द बंधाने में कटी.
नीरज


कजरारी आँखे 
क़यामत रहे सुर्ख गाल,
होली का बहाना 
मन बहका हरा नीला गुलाल.


उधार मांगा है हमने तुम्हारी 
आँखों का काजल अपनी शायरी के लिए
शर्त उसने भी रख दी 
शायरी मेरी आँखों पर ही होनी चाहिए.


तुम पुछते हो, 
मुझे तुझमें क्या पसंद है?
उसकी बातें पसंद हैं 
उसकी शरारतें पसंद हैं
उसकी कजरारी आँखें
उसके होंठों और उसकी मुस्कान पसंद है.


kajal shayari

काजल लगे नैनो मे डोरे हुए गुलाबी,
कैफियते अंजाम तमाम शहर हुआ शराबी.


ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है. 
मुनव्वर राना 


तेरे मासूम चहरे पर, अदा अच्छी लगती है,
जिस घडी तु हंस दे, वो दुआ सच्ची लगती है,
तेरी आँखों में काजल, इक लकीर सी बनाता है,
समंदर पर, ये नक्काशी अच्छी लगती है


लग जाएगी नज़र दुनिया की, 
जान लो,
लगा लो काजल चेहरे पर, 
गुजारिश मान लो.


kajal shayari

हाथ से मेहँदी न बिखरी, 
आँखों का काजल सलामत,
ये भी कोई बात थी, 
सखी पिया मिलन की रात थी.


होंठों की पंखुडियाँ गुलाब लगती हैं,
कजरारी तेरी आँखे शराब लगती हैं,
जिक्र करूँ क्या तेरी मधुर मुस्कान का,
तेरी बलखाती अदाऐं महताब लगती हैं.


काजल आँखें, होंठ सुर्ख , 
ज़ुल्फ असीरी , गाल पे तिल,
दिल ना देते तो जान से जाते, 
सामने हथियार बहुत थे.


आंखें ही, क्या कम थी,
उस पर, काजल भी लगाते हो,
इश्क  में, कत्ल  के तुम  भी,
क्या हुनर आजमाते हो.


उसकी आँख का काजल
मेरे दिल में इश्क़ के ख़ंजर उतारता है.


वो जो अफसाना-ए-ग़म सुन सुन के
हंसा करते थे,
इतना रोए कि 
सब आंख का काजल निकला.


उसका लिक्खा हुआ 
हर शख्स नहीं पढ़ सकता,
वो मिला लेता है 
काजल में हमेशा आँसू.


तेरी आँखों में समा जाऊँगा 
काजल की तरह,
तू ढूँढती रह जायेगी 
मुझे पागल की तरह.


होंठों की पंखुडियाँ गुलाब लगती हैं,
कजरारी तेरी आँखे शराब लगती हैं,
जिक्र करूँ क्या तेरी मधुर मुस्कान का,
तेरी बलखाती अदाऐं महताब लगती हैं.


काजल लगाकर आप महफ़िल के 
अन्दाज़ को अपना बनाने लगे,
हम तो गाने लगे 
आपके लिए मोहब्बत में ग़ज़ल।
जैसे आप चाँद बनके 
हमारे लिए रोशनी फैलाने लगे.


आंख से बिछड़े काजल को 
तहरीर बनाने वाले,

मुश्किल में पड़ जाएंगे 
तस्वीर बनाने वाले.


हम को तो जान से प्यारी है तुम्हारी आंखे,
हाय काजल भरी मदहोश ये प्यारी आंखे.


गुलाबी होठ, बिखरी जुल्फे,
और कजरारी आँखे
इस खूबसूरती ने हमे 
गलत-फहमियों में डाल रखा है. 


मुझे उसके इश्क का घना बादल बना देता,
मुझे उसकी आँखो का काजल बना देता,
तुझसे बिछड़ना अब मुझे मौत की तरफ ले जाता है,
ऐ रब इससे अच्छा तू मुझे पागल बना देता.


गाँव छोड़ा तो कई आँखों में काजल फैला
शहर पहुँचा तो किसी माथे पे झूमर झूमा 
बशीर बद्र


शाम की लाली रात का काजल 
सुबह की तक़दीर हो तुम,
हो चलता फिरता ताजमहल 
सांसे लेता कश्मीर हो तुम.


बांटू ना किसी से साया भी तेरा,
काजल जहाँ वहाँ तेरा बसेरा.


काजल रखो आँखों में, 
इंतज़ार ना रखो.
खूबसूरत हो तुम, 
खूबसूरत रहो, 


चांदनी रात भी जल जाये 
जब तू काजल लगा के आए.
ये दिल भी मेरा हलचल मचाये 
जब तू काजल लगा के आए.


शायद किसी रोज तुम समझ पाओ 
इस दिल की बेकरारी,
और तुम्हारी आंखों के काजल का 
कोई बहुत गहरा रिश्ता है.


महिफल मे आज फिर 
क़यामत की रात हो गई,
हमने लगाया अपने आखो मे काजल 
और बिन बादल बरसात हो गई.


हौंसला तुझ में न था 
मुझसे जुदा होने का,
वरना काजल तेरी आँखों का 
न यूँ फैला होता.


याद है अब तक 
तुझसे बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे,
तू ख़ामोश खडी थी 
लेकिन बातें करता था काजल.


बावरा हुआ जाता हूँ 
तेरी अखियों में इश्क देखकर,
मेरी उम्मीदों का मक़सद 
तेरी आँखों का काजल ही तो है.


तेरी नशीली आंखे 
और उनमे लगा काजल,
हाय, तुझको देखते ही 
हो जाते हैं हम तो घायल.

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