“कहते हैं, आँखें दिल का आइना होती हैं,और जब इन आँखों में काजल का जादू बिखर जाए, तो हर दिल को अपनी गहराइयों में डूबो लेता है।काजल की एक हल्की सी लकीर, कितनी कहानियां, कितने जज्बात बयां कर देती है। तो आइए, काजल की इस अदाओं को महसूस करते हैं और कुछ दिल छू लेने वाली शायरी के सफर पर
न रोओ आँख का काजल,
निकल कर छूट जायेगा,
ये दिल तेरे अश्क बूंदों में,
फिसल कर टूट जायेगा.
एक बार इशारा तो कर दे
दिल और जिगर तो कुछ भी नहीं,
मै खुद को जला सकता हूँ,
तेरी आँखों के काजल के लिये.
मोहब्बत के सपने दिखाते बहुत हैं,
वो रातों में हमको जगाते बहुत हैं,
मैं आँखों में काजल लगाऊं तो कैसे,
इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं.

ये लाली, ये काजल,
और ये जुल्फें खुली खुली,
अरे एसे ही जान मांग लेते
इतना इंतजाम क्यूँ किया?
Ye Lali, Ye Kajal
Aur Ye Julfe Khuli Khuli,
Are Ese Hi Jaan Mang Lete,
Itana Intzam Kyu Kiya❓
संभालकर ज़रा रखियेगा कदम
फूल बिखरे है मगर ठेस लग जायेगी,
ये काजल लगाने का क्या फायदा
रूप ऐसा है नज़र लग जायेगी.
जो बनाई है तिरे काजल से तस्वीरे-मुहब्बत,

ये नैना ये काजल ये जुल्फे ये आँचल
खूबसूरत सी हो तुम
ग़ज़ल कभी दिल हो कभी धड़कन कभी शोला कभी शबनम
तुम्ही ही हो तुम मेरी हमदम.
उस की आँखों में भी काजल फैल रहा है
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूँ .
जावेद_अख़्तर
मुहब्बत की बेनूर ख्वाहिशें
और तेरा गम,
हम बिखर से गये
आँखों से काजल की तरह.
काजल, आँखे ,जुल्फ़े, झुमका, चेहरा, बिंदिया
हाये दिल हार गए हम तुम्हे बेनकाब देखकर.

कभी काजल कभी बिंदिया
कभी चूड़ी कभी कजरा,
मुझे
तेरे इन्ही हथियारो ने.
मेहंदी रची हथेली मेरी
मेरे काजल वाले नैन रे,
पिया पल पल तुझे पुकारते
होकर बैचेन रे.
लगा लेना काजल
अपनी आखो मे जरा
ख्बाब बनकर दाखिल होने का
इरादा है मेरा.
Laga Lena Kazal
Apni Ankhon Me Jara,
Khwaab Bnakar Dakhil Hone Ka
Iraada Hai Mera.

निकल आते हैं आँसू
गर
किसी की आँख में काजल लगाना
खेल थोड़े ही है.
Nikal Aate Hain Aansoo
Gar Jara Si Chook Ho Jaye,
Kisi Ki Aankh Mein Kajal Lagana
Khel Thode Hi Hai.
गुलाब से गुलाब का रंग
तेरे गालों पे आया.
तेरे नैनों ने काली घटा का
काजल लगाया.
जवानी जो तुम पर चढ़ी तो
नशा मेरी आँखों में आया..
जिसे भी देख लो तुम,
वो हुआ एक पल में दीवाना,
तिलिस्मी है बहुत सनम,
तुम्हारी आँखों का काजल.

हाँ, एक और शाम रंगीन हुई है
तुम्हारे आँचल
और देखो, सुरमयी रंग सजा है
तुम्हारे काजल की तरह.
जो बरस जाये वही बादल अच्छे हैं,
जो निगाहों को सजा दे वही काजल सच्चे हैं,
सयानों ने कुछ इस कदर बर्बाद कर दी है दुनिया,
हमें पागल ही रहने दो हम पागल ही अच्छे हैं.
काजल बिंदियॉ, कंगन झुमके,
ये मेरे ख़ज़ाने हैं,
हम खोये खोये रहते हैं.
बहुत रोई हुई लगती है आँखें
मेरी ख़ातिर

गीले लब़ कातिल निगाहें
गज़ब का काजल गुलाबी हो़ठ,
तु ही बता ये दिल
तुम पे न मरता तो क्या करता?
अलसायी सुबह, फैले हुए काजल में,
बिखरे हुए आँचल में,
बचाते बचाते छिपाते छिपाते नुमायां होती है
कविता कोई रात की.
एक मायने में आँखों की हद है ये काजल,
पर तुम्हारी आँखों में हसीन बेहद है ये काजल.
आईना नज़र लगाना चाहे भी तो कैसे लगाए,
काजल लगाती है वो आईने में देखकर.
तुम्हारी कजरारी
जब भी मेरी तरफ देखती है,
कसम से एक ख़त
इश्क़ का लिख भेजती है.

काँपती लौ, ये स्याही, ये धुआँ, ये काजल
उम्र सब अपनी इन्हें गीत बनाने में कटी,
कौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
ज़िन्दगी गीत थी पर जिल्द बंधाने में कटी.
कजरारी आँखे
क़यामत रहे सुर्ख गाल,
होली का बहाना
मन बहका
उधार मांगा है हमने तुम्हारी
आँखों का काजल अपनी शायरी के लिए
शर्त उसने भी रख दी
शायरी मेरी आँखों पर ही होनी चाहिए.
तुम पुछते हो,
मुझे तुझमें क्या पसंद है?
उसकी बातें पसंद हैं
उसकी शरारतें पसंद हैं
उसकी कजरारी आँखें
उसके होंठों और उसकी मुस्कान पसंद है.

काजल लगे नैनो मे डोरे हुए गुलाबी,
कैफियते अंजाम तमाम शहर हुआ शराबी.
ज़रा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
दिये से मेरी माँ मेरे लिए काजल बनाती है.
मुनव्वर राना
